लगे गिनने अभी से ग़ाम अभी आग़ाज -ए -मंज़िल है |
सफ़र आसान था अब तक सफ़र आगे का मुश्किल है ||
बख़ूबी जानता है वो बिकाऊ आज आदिल है |
तभी तो क़त्ल करके घूमता बेख़ौफ़ क़ातिल है ||
ज़रा हिम्मत दिखा कश्वर ख़ला जल्दी चला अपनी |
लगा है डूबने सूरज अभी भी दूर साहिल है ||
लगे धब्बे गुनाहों के मिरी दस्तार पर लेकिन |
उतारूं तो भी मुश्किल है कि पहनू तो भी मुश्किल है ||
नहीं सुनता मेरी कुछ आप ही की बात करता है |
कभी ये था मेरा बस आप रखिये आपका दिल है ||
मेरा जो हाल पूछे तुझसे तो ए नामाबर कहना |
न कुछ कहने के क़ाबिल है न कुछ सुनने के क़ाबिल है ||
बचा के रखूं सादिक़ इस को बर्फ़ीली हवाओं से |
नसें सिकुड़ी हुईं इसकी बड़ा कमज़ोर ये दिल है ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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