Thursday, 16 February 2012

इन दिनों


कुछ  हैं  बड़े  अजीब  से  हालात  इन  दिनों |
सबके  जुदा -जुदा  हैं  ख़यालात  इन  दिनों ||

दिल आपके ही  गा  रहा   नग़्मात इन  दिनों |
क्या कर रहा  है  इश्क़  करामात  इन  दिनों ||

अव्वल तो हो न उनसे  मुलाक़ात  इन  दिनों |
हो जाए तो न कुछ हो कभी  बात  इन  दिनों ||

संसद का हाल पूछ के  क्या  कीजिये  जनाब |
घूंसों  के  संग  चलती  वहां  लात  इन  दिनों ||

सब  उलटे -सीधे  काम  जो  भी  शहर  में हुए |
सब  में  लगे  उन्हें  मेरा  ही  हाथ  इन  दिनों ||

घुट्टी में क्या  पिला  दिया  उनको  रक़ीब  ने |
दोनों    दिखाई   दे   रहे   हैं   साथ  इन  दिनों ||

मौसिम  ने रंग बदल लिया इंसान  की  तरह |
वरना   कभी   हुई   यह  बरसात  इन  दिनों ||

हुक्काम  जिस  में  पड़ गए  हैं  डेरा  डाल कर |
वो   ही   सजी   है   देख  हवालात  इन  दिनों ||

उठने लगा है जिहन में क्या फिर कोई ख़लल |
करते   बहुत   हो  आप  सवालात  इन  दिनों ||

बेवक़्त अब न कीजिये जाने की  आप  ज़िद |
अच्छे नहीं  हैं  शहर  के  हालात   इन  दिनों ||

मैं   दौड़ने   लगा   हूँ   तेरी  जुस्तजू  में  बस |
दिन देखता हूँ अब न कोई  रात   इन  दिनों ||

अब भूल बैठे हैं सभी  आपस के   प्यार  को |
घायल सभी के  हो रहे जज़्बात  इन  दिनों ||

डा०  सुरेन्द्र  सैनी 

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