कुछ हैं बड़े अजीब से हालात इन दिनों |
सबके जुदा -जुदा हैं ख़यालात इन दिनों ||
दिल आपके ही गा रहा नग़्मात इन दिनों |
क्या कर रहा है इश्क़ करामात इन दिनों ||
अव्वल तो हो न उनसे मुलाक़ात इन दिनों |
हो जाए तो न कुछ हो कभी बात इन दिनों ||
संसद का हाल पूछ के क्या कीजिये जनाब |
घूंसों के संग चलती वहां लात इन दिनों ||
सब उलटे -सीधे काम जो भी शहर में हुए |
सब में लगे उन्हें मेरा ही हाथ इन दिनों ||
घुट्टी में क्या पिला दिया उनको रक़ीब ने |
दोनों दिखाई दे रहे हैं साथ इन दिनों ||
मौसिम ने रंग बदल लिया इंसान की तरह |
वरना कभी हुई यह बरसात इन दिनों ||
हुक्काम जिस में पड़ गए हैं डेरा डाल कर |
वो ही सजी है देख हवालात इन दिनों ||
उठने लगा है जिहन में क्या फिर कोई ख़लल |
करते बहुत हो आप सवालात इन दिनों ||
बेवक़्त अब न कीजिये जाने की आप ज़िद |
अच्छे नहीं हैं शहर के हालात इन दिनों ||
मैं दौड़ने लगा हूँ तेरी जुस्तजू में बस |
दिन देखता हूँ अब न कोई रात इन दिनों ||
अब भूल बैठे हैं सभी आपस के प्यार को |
घायल सभी के हो रहे जज़्बात इन दिनों ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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