हया लेकर अदाओं में चले आओ चले आओ |
मेरी बेताब बाहों में चले आओ चले आओ ||
तुम्हारी दीद की उम्मीद में ये दिल धड़कता है |
बिछी आँखें हैं राहों में चले आओ चले आओ ||
तेरे एहसास की गरमी की अब मुझको ज़रुरत है |
बढ़ी ठंडक हवाओं में चले आओ चले आओ ||
फरेबों से भरी दुन्या में कुछ भी तो नहीं रक्खा |
महब्बत की पनाहों में चले आओ चले आओ ||
तुम्हारी याद में आँखें हैं नम होठों पे नाले हैं |
गुज़ारिश है ये आहों में चले आओ चले आओ ||
ज़रा बच कर ज़माने की निगाहों से फ़क़त मेरी |
निगाहों ही निगाहों में चले आओ चले आओ ||
यक़ीनन आज़माइश से तो हम डरते नहीं हरगिज़ |
बड़ा दम है वफाओं में चले आओ चले आओ ||
दुआ मंज़ूर होती ही नहीं कोई तुम्हारे बिन |
असर करने दुआओं में चले आओ चले आओ ||
बहारें झूम उठती हैं तेरे क़दमों की आहट से |
शफ़क़ बन कर फ़ज़ाओं में चले आओ चले आओ ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
No comments:
Post a Comment