Tuesday, 14 February 2012

चले आओ


हया लेकर अदाओं  में  चले  आओ  चले  आओ |
मेरी  बेताब  बाहों   में  चले  आओ  चले  आओ ||

तुम्हारी दीद की उम्मीद में ये  दिल  धड़कता   है |
बिछी आँखें हैं राहों   में  चले  आओ  चले  आओ ||

तेरे एहसास की गरमी की अब मुझको ज़रुरत है |
बढ़ी   ठंडक  हवाओं में  चले  आओ  चले  आओ || 

फरेबों से भरी  दुन्या में कुछ भी  तो  नहीं  रक्खा |
महब्बत  की  पनाहों में  चले  आओ  चले  आओ || 

तुम्हारी  याद  में  आँखें  हैं  नम  होठों  पे  नाले  हैं |
गुज़ारिश है ये   आहों में  चले  आओ  चले  आओ || 

ज़रा बच कर ज़माने की निगाहों   से  फ़क़त  मेरी |
निगाहों  ही    निगाहों में  चले  आओ  चले  आओ || 

यक़ीनन आज़माइश से तो हम डरते नहीं हरगिज़ |
बड़ा  दम  है  वफाओं में  चले  आओ   चले  आओ || 

दुआ   मंज़ूर   होती   ही   नहीं  कोई  तुम्हारे  बिन |
असर  करने  दुआओं में  चले  आओ  चले  आओ || 

बहारें  झूम  उठती  हैं  तेरे  क़दमों   की  आहट  से |
शफ़क़ बन कर फ़ज़ाओं में चले आओ चले आओ || 

डा० सुरेन्द्र  सैनी   
  

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