सीने में सौ दिल हमारे हो नहीं सकते |
हम किसी के हैं तुम्हारे हो नहीं सकते ||
है हमेशा लत जिन्हें उंगली पकड़ने की |
वो किसी के भी सहारे हो नहीं सकते ||
ख़ुद को फैला ले समुंदर जितना जी चाहे |
दूर पर उससे किनारे हो नहीं सकते ||
घोले हैं जो ज़हर नफ़रत का फ़ज़ाओं में |
वो ख़ुदा के तो दुलारे हो नहीं सकते ||
देख लूँ जी भरके उनको आज बेपर्दा |
रोज़ तो एसे नज़ारे हो नहीं सकते ||
ये तो मुमकिन है फ़क़त हो आपकी ग़लती |
पर ग़लत भी लोग सारे हो नहीं सकते ||
है कहीं पर कुछ न कुछ तो दाल में काला |
पल में यूँ रोशन सितारे हो नहीं सकते ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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